Sunday, July 18, 2010

hi

जब दो सालियों को एक रात में ही चोदा.
बात उस समय की है जब मेरी शादी को 2 साल हो गए थे और मेरी बीबी को पहला बच्चा हुआ था. वो उस समय अपने मायके कानपुर में ही थी. मै इलाहाबाद में पोस्टेड था. जब काफी दिन हो गए तो मै अपने आफिस से छुट्टी ले कर अपने ससुराल गया ताकि बीबी और बच्चे से मिल आऊं. अभी मेरी बीबी का इलाहाबाद आने का कोई प्रोग्राम नहीं था. क्यों कि इस समय दिसंबर का महीना चल रहा था और जाड़ा काफी अधिक पड़ रही थी.

कानपुर जब मै अपने ससुराल गया तो मेरी खूब खातिरदारी हुई. मेरे ससुराल में मेरे ससुर, सास, 1 साला और 2 सालियाँ थी. मेरे साले की हाल ही में नौकरी हुई थी. और वो दिल्ली में पोस्टेड था. ससुरजी भी अच्छे सरकारी नौकरी में थे. २ साल में रिटायर होने वाले थे. लेकिन अधिकतर बीमार ही रहा करते थे. मेरी सालियाँ बड़ी मस्त थीं. दोनों ही मेरी पत्नी से छोटी थीं. मेरी पत्नी से ठीक छोटी वाली का नाम मोनिका था. वो 23 साल की थी. उस से छोटी अन्नू की उम्र 21 साल की थी. दोनों ही स्नातक कर चुकी थी. यूँ तो दोनों दिन भर मेरे से चुहलबाजी करती रहती थी लेकिन कभी बात आगे नही बढी थी. मैंने भी मोनिका की एक - दो बार चूची दबा दी थी. लेकिन वो हंस कर भाग जाती थी. खैर मेरी बीबी नेहा खुद भी काफी सुन्दर थी. इसलिए कभी कोई ऐसी वैसी बात होने कि नौबत नही आई.

इस बार मै ज्यों ही अपने ससुराल पहुंचा तो वहां एक अजब समस्या आन पड़ी थी. दोनों ही सालियों ने बी .एड करने का फॉर्म भरा था और दोनों की ही परीक्षा लखनऊ में होनी थी. परीक्षा पुरे एक सप्ताह की थी. समस्या ये थी कि इन दोनों के साथ जाने वाला कोई था ही नहीं. क्यों कि मेरे साले कि अभी अभी नौकरी लगी थी और वो दिल्ली में था. मेरे ससुर जी को जोड़ों के दर्द ने इस तरह से जकड रखा था कि वो ज्यादा चल फिर नहीं पा रहे थे. सास का तो उनको छोड़ कर कहीं जाने का सवाल ही पैदा नही होता था. मेरी दोनों सालियाँ तो अकेले ही जाने के लिए तैयार थी, लेकिन जमाने को देखते हुए मेरे ससुरजी इसके लिए तैयार नहीं हो रहे थे. इस कारण मेरी दोनों सालियाँ काफी उदास हो गयी थी. मुझे लगा कि यूँ तो मै 15 दिनों की छुट्टी ले कर आया हूँ और यहाँ 3 दिन में ही बोर हो गया हूँ क्यूँ ना मै ही चला जाऊं, लेकिन ससुरजी क्या सोचेंगे ये सोच कर मै खामोश था.

अचानक मेरी सास ने ही मेरे ससुर को कहा कि क्यों नहीं दामाद जी को ही इन दोनों लड़कियों के साथ भेज दिया जाये. ससुरजी को भी इसमें कोई आपत्ति नजर नहीं आई. उन्होंने मुझसे पूछा तो मैंने थोड़ी टालमटोल करने के बाद लखनऊ जाने के लियी हाँ कर दी. और उसी दिन शाम को ही ट्रेन पकड़ कर लखनऊ के लिए रवाना हो गए. अगले दिन सुबह लखनऊ पहुँच कर एक होटल में हमलोग रुके . होटल में मैंने दो रूम बुक किये. एक डबल रूम , दोनों सालियों के लिए तथा एक सिंगल रूम अपने लिए. हम लोगों ने नास्ता पानी किया और मैंने उन दोनों को उनके परीक्षा सेंटर पर पहुंचा दिया. हर दुसरे दिन एक परीक्षा होनी थी . 12 बजे से 2 बजे तक . उसके बाद दो दिन आराम . दोनों ने परीक्षा दे कर वापस होटल आने के क्रम में ही भोजन किया . मैंने दोनों से परीक्षा के बारे में पूछा तो दोनों ने बताया कि परीक्षा काफी अच्छी गयी है. खाना खाने के बाद हम लोग होटल चले आये . वो दोनों अपने कमरे में गयी तथा मै अपने कमरे में जा कर आराम करने लगा .

करीब 5 बजे मुझे लगा कि उनलोगों को कहीं घुमने जाना है क्या? ये सोच कर मै उनके रूम में गया. रूम का दरवाज़ा मोनिका ने खोला . रूम में अन्नू नजर नही आयी .

मैंने मोनिका से पूछा- अन्नू कहाँ है?

वो बोली- बाथरूम गयी है.

मैंने कहा - ओह.

मैंने देखा कि मोनिका सिर्फ एक नाइटी पहने हुए है. उसके चूची साफ़ साफ़ आभास दे रही है. उसके चूची के निपल तक का पता चल रहा था.

मैंने सीधे बिना किसी शर्म के ही धीरे से कहा- क्या बात है ? ब्रा नही पहनी हो?

उसने कहा - यहाँ कौन है जिस से अपनी चूची को छिपाना है?

सुन कर मै दंग रह गया, और कहा - क्यों , मै नहीं हूँ?

वो बोली- आप से क्या शर्माना? आप तो अपने आदमी हैं.

मै कहा- कभी ठीक से छूने भी नहीं देती हो और कहती हो कि आप अपने आदमी हैं .

उसने कहा - इसमें कुछ ख़ास थोड़े ही है जो आपको छूने नहीं दूंगी. आप छू कर देखिये. मै मना नहीं करूंगी.

मैंने धीरे से उसे पीछे से पकड़ा और अपने हाथ मोनिका के एक चूची पर रख दिया. उसने सचमुच कुछ नहीं कहा और ना ही किसी प्रकार का प्रतिरोध किया. मै उसकी चूची को जोर जोर से दबाने लगा. उसे भी मज़ा आने लगा. जब मैंने देखा कि उसको भी मज़ा आ रहा है तो मेरा मन थोडा और बढ़ गया. और मैंने अपना हाथ उसके नाइटी के अन्दर डाला और उसके चूची को पकड़ लिया. उफ़ क्या मखमली चूची थी मोनिका की . मैंने तो कभी कल्पना भी नही की थी कि मेरी साली इतनी सेक्सी हो सकती है. मै कस कर के उसकी चूची दबा रहा था. वो आँख बंद कर के अपने चूची के मर्दन का आनंद ले रही थी. मेरा लंड तनतना गया.

मैंने धीरे से कहा- ए, जरा नाईटी खोल के दिखा ना.

मोनिका ने कहा- खुद ही खोल कर देख लीजिये ना.

मैंने उसकी नाईटी को अचानक सरका दिया और उसकी चुचियों के नीचे लेते आया. ऊऊफ़्फ़्फ़्फ़ क्या मस्त चूची थी. मैंने दोनों हाथों से से उसकी दोनों चुचियों को को पकड़ कर मसलना शुरू कर दिया. वो सिर्फ आँखे बंद कर के मज़े ले रही थी.

उसने धीरे से कहा - जीजाजी, इसे चूसिये ना.

मैंने उसको बेड पर लिटा दिया और उसकी चूची को चूसने लगा. ऐसा लग रहा था मानो शहद की चासनी चूस रहा हूँ. मेरा लंड एकदम उफान पर था. उसने मेरे लंड पर हाथ लगा दिया. मेरा लंड पैंट के अन्दर ही अन्दर गीला हो गया था. मै अब उसके बदन पर से समूचा कपडे उतार देना चाह रहा था तभी अचानक बाथरूम से फ्लश की आवाज आयी. मै समझ गया कि अन्नू आने वाली है. मैंने झट से उसके चूची पर से अपना मुंह हटाया और अलग हट गया. उसने भी अपने अस्त व्यस्त कपडे को ठीक किया. तभी अन्नू वहां आ गयी.

वो मुझे देख कर मुस्कुराई और बोली- आप कब आये?

मैंने कहा -अभी थोड़ी देर पहले.

थोड़ी देर इधर उधर की बातें कर के मै अपने रूम में चला आया. मुझे अभी भी मोनिका के मखमली चूची का स्पर्श महसूस हो रहा था.

मै रात के खाने का आर्डर रूम में ही दे दिया. रूम सर्विस में हम सभी का खाना मोनिका के कमरे में ही लगा दिया. मै मोनिका और अन्नू के साथ चुप चाप खा रहा था. मै और मोनिका चुपचाप थे लेकिन अन्नू हमार्री हालात से अनजान थी और इधर उधर की बातें कर रही थी. मै सिर्फ हाँ -हाँ कर रहा था.

खाना ख़तम होने के बाद अन्नू ज्यों ही हाथ धोने बाथरूम गयी मैंने झट से मोनिका के कान में कहा - रात को मेरे कमरे में आओगी?

मोनिका ने कहा - नहीं.

मैंने कहा - क्यों?

वो बोली- मै कहीं नहीं जाओंगी. आप ही चले आना. दो बजे रात को. मुझे इधर उधर जाते हुए कोई देख लेगा तो लोग क्या कहेंगे.

मैंने कहाँ - ठीक है. मै ही चला आऊँगा.

रात के दो बजे मैंने मोनिका के मोबाइल पर मिस काल मारा. उसने मुझे काल किया.

मैंने पूछा - अन्नू सो गयी?

वो बोली - हाँ. आप आ जाईये.

मै चुपके से उसके कमरे के बाहर चला गया. और धीरे से दरवाज़ा खटखटाया. मोनिका ने दरवाज़ा खोला. मै अन्दर आ कर दरवाज़े को बंद किया. और बिना लाईट ऑन किये ही मोनिका को ले कर उसके बिस्तर पर चला गया. वो कुछ नही बोल रही थी. मैंने उसकी नाइटी को खोल कर उसकी चूची को दबाने लगा. बगल के बिस्तर पर ही अन्नू सोई थी. मैं मोनिका के ओठों को अपने ओठ में लिया और चूसने लगा. उसके ओठ भी एक दम रसीले थे. अब मुझसे और बर्दाश्त नहीं हो रहा था. मैंने अपने कपडे खोले और अपना लंड मोनिका के हाथ में दे दिया. वो मेरे लंड को सहलाने लगी. मेरा लंड 6 इंच का था. उसे मेरे लंड से खेलने में काफी मज़ा आ रहा था. मै उसकी चूची से खेल रहा था. मैंने मोनिका को उसके बिस्तर पर लिटाया. और उसके चूत को छूने लगा . उसकी चूत एक दम गीला हो रही था मानो मेरे लंड को आमंत्रण दे रही हो.

मै उसके नंगे मखमली बदन पर लेट कर उसके हर अंग को चाटने लगा. वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी. मैंने उसके बुर को चाटना चालु किया तो वो सिसकारी भरने लगी. मुझे डर था कि कहीं उसकी सिसकारी सुन कर अन्नू जग ना जाए. लेकिन मै उसके बुर के रस को छोड़ भी नहीं पा रहा था. इतना नरम और रसीला बुर था मानो लग रहा था कि लीची को उसका छिलका उतार कर सिर्फ उसे चाट रहा हूँ. उसके बुर ने पानी छोड़ दिया. मै उसके बुर को छोड़ फिर उसके चूची को अपने सीने से दबाया और

उसके कान में धीरे से पूछा- अपनी चूत चुदवाओगी?

मोनिका ने धीरे धीरे कहा- हाँ .

मैंने कहाँ - ठीक है.

मैंने उसके दोनों टांगो को अलग किया और चूत के छेद का मुआयना किया. उसमे उंगली डाल कर उसे फैलाया फिर अपना लंड को उसकी चूत के छेद पर रखा और और धीरे धीरे लंड को उसके चूत में घुसाना चालु कर दिया.
ज्यों ही मैंने लंड डाला वो चीख पड़ी- आ ..... यी....आह...

उसका चूत एकदम नया था. मैंने धीरे धीरे अपने लंड को उसके चूत में धक्के मारना शुरू किया. मेरा लंड उसके चूत के गहराई में गया तो वो पूरी तरह चीख पड़ी- आ .....ह...

हमें अहसास ही नहीं हुआ कि उसकी चीख सुन कर अन्नू जाग गयी. वो अपने बिस्तर पर से दीदी के बिस्तर की तरफ छुप के देख रही थी. मैंने मोनिका को चोदना चालू किया. थोड़ी देर में ही उसे आनंद आने लगा.

अब वो आराम से बिना किसी शर्म के जोर जोर से बोलने लगी- आह जीजा जी. हाय जीजाजी. जरा धीरे धीरे चोदिये ना. आय हाय कितना मज़ा आ रहा है.

उसने अचानक अपने बगल के बल्ब का स्विच ऑन कर दिया. इस से कमरे में पूरी तरह से रौशनी हो गयी.

मैंने कहा - बत्ती क्यों जलायी हो?

मोनिका ने कहा - इस कमरे में किस से शर्म? अँधेरे में मज़ा नही आ रहा था. रोशनी में चुदाई का मज़ा ही कुछ और है.

मैंने कहा- अन्नू देख लेगी तो?

मोनिका ने सिसकारी भरते हुए कहा- देख लेने दीजिये ना. जीजाजी से ही ना चुदवा रही हूँ किसी पड़ोसी से तो नही न? आआअ ....ह्ह्ह्ह.... वो साली ही क्या जिसने अपने जीजा के मज़े ना लूटे हों.

सुन के मुझे उसके हिम्मत पर ख़ुशी हुई और आराम से उसके अंग अंग को देखते हुए चोदने लगा. वो भी जोर जोर से चिल्लाने लगी- हाय...आआअह्ह्ह्ह..... ओह्ह माँ , ओह जीजू, हाय रे आःह्ह्ह ........


मै उसकी नंगे बदन पर लेट कर उसकी चुदाई कर रहा था. मैंने चुदाई करते समय अन्नू कि तरफ देखा कि कहीं ये देख तो नहीं रही? मुझे लग गया कि वो जग गयी है और रजाई के अन्दर से ही अपनी दीदी की चुदाई देख रही है.

मैंने मोनिका की चुदाई करते हुए उसके कान में धीरे से कहा - लगता है कि अन्नू ने हमें देख लिया है.

मोनिका ने बिना किसी परवाह किये कहा - उसकी परवाह मत करो मेरे जीजू .पहले मुझे चोदो मेरे प्यारे जीजू.

मै उसे चोदता रहा. थोड़ी देर में मोनिका के चूत से पानी निकलने लगा. मेरे लंड ने भी पानी छोड़ देने का सिग्नल दे दिया.

मैंने मोनिका से कहा - बोल कहाँ गिरा दूँ माल?

वो बोली- मेरे मुह में.

मैंने अपने लंड को उसके चूत से निकाला और अभी उसके मुह में भी नही डाला था कि मेरे लंड ने माल छोड़ना चालु कर दिया. इस वजह से मेरे लंड का आधा माल उसके मुह में और आधा माल उसके गाल और चूची पर गिर गया. फिर भी वो प्यासी कुतिया की तरह मेरा लंड चूसती रही.

मुझे काफी मज़ा आ रहा था. लेकिन मैंने गौर किया कि अन्नू भी काफी अंगडाई ले रही थी. इसका मतलब कि उसने सब कुछ देख लिया था. अगर उसने घर पर ये सब बता दिया तो?

मैंने मोनिका के कान में कहा- मोनिका, अन्नू ने तेरी चुदाई देख ली है. अब वो घर में जरूर कहेगी. असे कैसे रोकूँ?

मोनिका बोली- इसे रोकने का एक ही उपाय ये है कि इसे भी अभी चोद दीजिये. .

अंधा मांगे एक आँख यहाँ तो पूरा दो आँख का उपाय हो गया.
मै मोनिका के बेड से उठा और अन्नू के बेड पर गया और उसकी रजाई में घुस गया. वो जगी हुई थी लेकिन सोने का नाटक कर रही थी. मै नंगा ही उसके रजाई में घुस गया और उसकी चूची को छूने लगा. मुझे पता था कि ये लड़की अभी गरम है. इसे काबू में करना कोई मुश्किल काम नहीं है. मै उसी चूची को दबाने लगा. वो कुछ नहीं बोल रही थी. मैंने एक हाथ उसके नाइटी के अन्दर डाला और सीधे उसकी चूत पर हाथ ले गया. ओह उसकी चूत तो बिलकूल गीली थी. मैंने अब कोई तकल्लुफ नहीं किया और सीधे उसके नाइटी को उठा कर पूरी तरह खोल दिया. अब वो पूरी तरह से नंगी और मेरी गिरफ्त में थी. मै उसके होठों को बेतहाशा चूमने लगा. अब वो भी मुझे जोरदार तरीके से मेरे होठों को चूमने लगी. अब वो जग चुकी थी या यूँ कहें कि अब मेरा साथ देने लगी थी. वो भी दीदी कि चुदाई देख कर मस्त हो चुकी थी. उसकी चूची तो मोनिका कि चूची से भी नरम थी. उसने एक झटके में रजाई हटा दी. अब हम दोनों आज़ाद थे. कमरे की बत्ती में सब कुछ दिख रहा था. आखिर उसकी चूत का भी मैंने उद्धार किया और और उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया. वो भी थोड़ी चीखी लेकिन जल्दी ही अपने आप पर काबू पा ली. उसकी जम कर चुदाई के बाद मेरे लंड से भरपूर माल निकला जो कि उसके चूत में ही समा गया.

तब मोनिका भी उसी बेड पर आ गयी और
अन्नू की चूची को दबा कर बोली- क्यों मज़ा आया ना?

अन्नू ने कहा- हाँ दीदी. एक बार फिर करो ना जीजू.

मोनिका ने कहा- नहीं पहले मेरी चूत में भी रस डालिए तब अन्नू की बारी.

इस प्रकार मोनिका के चूत की दोबारा चुदाई की तथा उसके चूत में ही रस गिराया. मोनिका तो थक कर सो गयी लेकिन अब अन्नू कहने लगी मेरी मुंह में भी रस पिलाईये जैसे दीदी को पिलाया था. और मेरी भी चूत चूसिये जैसे आपने दीदी की चुसी थी. मेरी तो अब हिम्मत नहीं हो रही थी..
मैंने कहा- अन्नू, ये मेरा लंड आपके हवाले है. आप इसे चूस कर इस से रस निकाल लीजिये.

अन्नू बोली - ठीक है.

मै बिस्तर पर लेट गया. अन्नू मेरे बदन पर इस तरह से लेट गयी कि उसकी चूत मेरी मुह के ऊपर और वो मेरे लंड को अपने मुह में ले ली. वो मेरे लंड को चूसने लगी और मै उधर उसके चूत को चूस रहा था. जवान लड़कियों में रस की कमी नही रहती. उसके चूत से लगातार रस निकल रहा था. सचमुच अद्भुत स्वाद था. उधर मेरा लंड फिर तनतना गया. उसके चूसने का अंदाजा भी निराला था. थोड़ी देर में ही मेरे लंड ने चौथी बार क्रीम निकाल दी जो कि अन्नू ने बड़े ही चटखारे ले ले कर पिया.उसके चूत से भी फाइनली रस निकल गया जो सचमुच किसी जूस से कम नहीं था.

उसके बाद मै भी अन्नू के साथ ही उसी के बिस्तर पर ही सो गया.

इसके बाद हम तीनो में कोई पर्दा नहीं रह गया. शेष सातों दिन हम तीनो ने साथ मिल कर चुदाई का खेल खेला.

भाभी की मस्त बुर

मै उस समय 15 साल का था। मेरे लंड पर बाल उग आए थे। मै अक्सर रात को अपने बिस्तर पर नंगा लेट कर अपने लंड के बाल को सहलाया करता था। एवं अपने लंड को खड़ा कर उसे सहलाता रहता था। एक रात मै अपने लंड को सहला रहा था । उसमे मुझे बहूत आनंद आ रहा था। अचानक मै जोर जोर से अपने लंड को अपने हाथ से रगड़ना शुरू किया । मुझे ऐसा करना बहूत अच्छा लग रहा था। अचानक मेरे लंड से मेरा माल निकलने लगा । उत्तेजना से मेरी आँखे बंद हो गई। 5-6 मिनट तक मुझे होश ही नही रहा। ये मेरा पहला मुठ था। इसके पहले मुझे इसका कोई अनुभव नही था। मै बाथरूम में जा कर अपने लंड को धोया और बेड पे आया तो मुझे गहरी नींद आ गई।

अगली सुबह मै अपने रूम से बाहर निकला तो देखा की भइया अपने ऑफिस के लिए तैयार हो रहे हैं। उनकी शादी हुए 2 साल हो गए थे। भाभी मेरे साथ बहूत ही घुली मिली थी। मै अपनी हर प्रोब्लम उनको बताया करता था। मेरे माता-पिता भी हमारे साथ ही रहते थे। थोडी देर में भईया अपने ऑफिस चले गए। पिता जी को कचहरी में काम था इस लिए वो 10 बजे चले गए। मेरे पड़ोस में एक पूजा था सो माँ भी वहां चली गई। मैंने देखा की घर में मेरे और भाभी के अलावा कोई नही है। मै भाभी के रूम में गया। भाभी अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी। मै उनके बगल में जा कर लेट गया। मेरे लिए ये कोई नई बात नही थी। भाभी को इसमे कोई गुस्सा नही होता था। भाभी ने करवट बदल कर मेरे कमर के ऊपर अपना पैर रख कर अपना बदन का भार मुझे पे डाल दिया
और कहा- क्या बात है राजा जी ? आप कुछ परेशान लग रहें हैं।

भाभी अक्सर मेरे साथ ऐसा करती थी।

मैंने कहा- भाभी कल रात को कुछ गजब हो
गया। आज तक मेरे साथ ऐसा नही हुआ था।

भाभी ने पुछा- क्या हुआ?

मैंने कहा - कल रात को मेरे लंड से कुछ
सफ़ेद सफ़ेद निकल गया। मुझे लगता है कि मुझे डाक्टर के पास जाना होगा।

भाभी ने मुस्कुरा के पुछा- अपने
आप निकल गया?

मैंने कहा - नही , मै अपने लंड को सहला रहा था तभी ऐसा हुआ।

भाभी ने कहा- राजा बाबू
अब आप जवान हो गए हो। ये सब तो होगा ही।लगता है कि मुझे देखना होगा।

भाभी ने अपना हाथ मेरे लंड के
ऊपर रख दिया। तथा धीरे धीरे इसे दबाने लगी। इस से मेरे लंड खड़ा होने लगा।

भाभी बोली- जरा दिखाइए तो सही


मै कुछ नही बोला। मैंने धीरे से अपने पेंट का बटन खोल दिया। भाभी ने मेरे पेंट को नीचे की ओर खींचा और उसे
पूरी तरह खोल दिया। अब मै सिर्फ़ अंडरवियर में था। भाभी अंडरवियर के ऊपर से ही मेरा लंड को सहला रही थी।

बोली- क्या इसी से कल रात को सफ़ेद सफ़ेद निकला था?

मैंने कहा - हाँ।

भाभी ने कहा - अंडरवियर खोलिए।

मैंने कहा - क्या भाभी, आपके सामने मै अपना अंडरवियर कैसे खोल सकता हूँ?

भाभी बोली - अरे जब आप मेरे
को अपना पूरा प्रोब्लम नही बतायेगे तो मै कैसी जानूंगी कि आपको क्या हुआ है? और मुझे क्या शर्माना? अपनों से कोई शर्माता है भला? जब आपके भइया को मेरे सामने अपने कपड़े खोलने में कोई शर्म नही है तो फिर आप क्यों शरमाते हैं?

मै इस से पहले की कुछ बोलता भाभी ने मेरा अंडरवियर पकड़ कर अचानक नीचे खींच लिया। मेरा
लंड तन के खड़ा हो गया। भाभी ने मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ लिया.
और कहा - अरे राजा बाबू आप तो बहूत जवान हो गए हैं।

भाभी मेरे लंड को पकड़ कर सहला रही थी। मेरे लंड से थोड़ा थोड़ा पानी निकलने लगा । अचानक
भाभी मेरे को जकड कर नीचे की तरफ़ घूम गई। इस से मै भाभी के शरीर पर चढ़ गया। भाभी का शरीर बहूत ही मखमली था।

भाभी ने मुझसे कहा - मुझे चोदियेगा?

मै कहा - मै नही जानता।

भाभी ने मेरे शरीर को पकड़
लिया और कहा - मै सीखा देती हूँ। पहले मेरा ब्लाउज खोलिए।

मैंने भाभी का ब्लाउज खोल दिया । भाभी का चूची
एकदम सफ़ेद सफ़ेद दिख रहा था। मैंने कभी सोचा भी नही था कि भाभी का चूची इतना सफ़ेद होगा। मै भाभी के चूची को ब्रा के ऊपर से ही सहलाने लगा।

भाभी ने कहा - ब्रा तो खोलिए तब ना मज़ा आएगा।

मैंने भाभी की ब्रा भी
खोल दिया। अब भाभी का समूचा चूची मेरे सामने तना हुआ खड़ा था। मैंने दोनों हाथो से भाभी की चूची को पकड़ लिया और
कहा - क्या मस्त चुच्ची है आपकी भाभी?

मै भाभी के चुचियों को धीरे धीरे दबा रहा था ।

अचानक भाभी
ने कहा - मेरी साड़ी खोलिए ना तब और भी मज़ा आएगा।

मैंने एक हाथ से भाभी की साड़ी खोल दिया। भाभी अब
सिर्फ़ पेटीकोट में थी।

फ़िर
मैंने भाभी को कहा - क्या पेटीकोट भी खोल दूँ?

भाभी बोली - हाँ।

मै बैठ कर भाभी का
पेटीकोट का नाडा खोला और झट से उतर फेंका। अब मेरे सामने जो नजारा था मै उसकी कल्पना सपने में भी नही कर सकता था। भाभी का बुर एकदम सफ़ेद सा था। उसपर घने घने बाल भी थे। मै भाभी के बुर को देख रहा था। कितना बड़ा बुर था। बुर के अन्दर लाल लाल छेद दिख रहा था।

मैंने भाभी को कहा - आपको भी बाल होता है?

भाभी सिर्फ़ मुस्कुराई।

भाभी बोली - छु कर तो देखिये।

मै भाभी के बुर को धीरे धीरे छुने लगा। भाभी बुर का बाल
मै एक तरफ़ कर के मै उसे फैला के देखने की कोशिश करने लगा कि ये कितना बड़ा है। मुझे उसके अन्दर छेद नजर आ रहा था।

भाभी से मैंने पुछा - भाभी , ये छेद कितना गहरा है?

भाभी ने कहा - ऊँगली डाल के देखिये न?

मै
बुर में ऊँगली डाल दिया। मै अपनी ऊँगली को भाभी के बुर में चारों तरफ़ घुमाने लगा। बहूत बड़ा था भाभी का बूर। मै बूर से ऊँगली निकाल के भाभी के शरीर पे लेट गया। भाभी ने अपने दोनों पैर को ऊपर उठा के मेरे ऊपर से घूमा के मुझे लपेट लिया। मै भाभी के शरीर को जोर से पकड़ लिया। मेरी साँसे बहूत तेज़ हो गई थी। मेरा सारा छाती भाभी के चूची से रगड़ खा रहा था। भाभी ने मेरे सर को पकड़ के अपने तरफ़ खींचा और अपने होठ को मेरे होठ से लगा दिया। मै भी समझ गया कि मुझे क्या करना है? मै काफी देर तक भाभी के होठो को चूमता रहा। चुमते चुमते मेरे शरीर में उत्तेजना भरती गई। मै भाभी के होठ को छोड़ कर कुछ नीच आया और भाभी के चूची को मुह में ले कर काफ़ी देर तक चूसता रहा। भाभी सिर्फ़ गर्म साँसे फेंक रही थी। फिर भाभी अचानक बैठ गई और मुझे बिस्तर पर सीधा लिटा दिया। मै लेट कर भाभी का तमाशा देख रहा था। भाभी ने मेरे लंड को पकड़ कर सहलाना शुरू किया। वो मेरी लंड के सुपाडे को ऊपर नीचे कर रही थी। मै पागल हुआ जा रहा था। भाभी ने अचानक मेरे लंड को अपने मुंह में ले कर चूसने लगी। पूरे मुंह में मेरा लंड घुसा ली। मै एकदम से उत्तेजित हो गया।

मैंने भाभी को कहा- भाभी, प्लीज ऐसा मत कीजिये।

लेकिन भाभी नही मानी। वो मेरे लंड को अपने मुंह में
पूरा घूसा ली। अचानक मेरे लंड से माल निकलने लग गया। मेरी आँखे बंद हो गई। मै छटपटा गया। सारा माल भाभी के मुंह में गिर रहा था लेकिन भाभी ने मेरे लंड को अपने मुंह से नही निकाला। और मेरा सारा माल भाभी पी गई। 2-3 मिनट के बाद मुझे होश आया। देखा भाभी मेरे शरीर पर लेटी हुआ है और मेरे होठों को चूम रही है।

भाभी बोली- ऐसा ही माल निकला था रात में?

मैंने कहा - हाँ भाभी.

भाभी ने कहा- ये तो जवानी की निशानी है मेरे देवर जी. अब आप जवान हो रहे हैं.

मैंने कहा- अब मै जाऊं भाभीजी ?

भाभी
बोली - अरे वाह राजा जी अभी तो खेल बाकी है।अब जरा मुझे चोदिये तो सही।

मै बोला- क्या अभी भी कुछ बाकी है? लेकिन मै भी कुछ करना चाहता हूँ.

भाभी बोली - आप क्या करना चाहते हैं?

मै बोला - जिस तरह से आपने मेरे लंड को चूसा
उसी तरह से मै भी आपके बूर को चूसना चाहता हूँ।

भाभी बिस्तर पे लेट कर अपनी दोनों पैर को अगल बगल फैला दिया। अब मुझे भाभी का बुर का एक एक चीज साफ़ साफ़ दिख रहा था। मै नीच झुक कर भाभी के बुर में
अपना मुंह लगा दिया। पहले तो बूर के बाल को ही अपने मुंह से खींचता रहा। फ़िर एक बार बुर के छेद पर अपने होठ रख कर उसका स्वाद लिया। बड़ा ही मज़ा आया। मै और जोर से भाभी के बुर को चूसने लगा। चूसते चूसते अपनी जीभ को भाभी के बूर के छेद के अन्दर भी घुसा दिया। भाभी को देखा तो वो अपनी आँख बंद कर के यूँ कर रही थी जैसे कि कोई दर्द हो रहा है।तभी भाभी के बुर से हल्का हल्का पानी के तरह कुछ निकलने लगा। मैंने उसका स्वाद लिया तो मुझे कुछ नमकीन सा लगा. थोडी ही देर में मेरा लंड तन के खड़ा हो गया था। मै भाभी के होठ को चूमने के लिए जब उनके ऊपर चढा तो मेरा लंड उनके बुर से सट गया। भाभी ने मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ लिया और
कहा - राजा जी अब मुझे चोदिये न ।

मैंने कहा - मगर कैसे भाभीजी? क्या और भी मज़ा हो सकता है?

भाभी धीमे से
मुस्कुराई और कहा - अब तो असली मज़ा बांकी है।

मै कहा - क्या करुँ?

भाभी बोली - अपने लंड को मेरे बूर में
डालिए।

मैंने कहा - इतना बड़ा लंड आपके बुर के इतने छोटे से छेद में कैसे घुसेगा?

भाभी बोली- आप डालिए तो
सही।

भाभी ने अपने दोनों पैरों को और फैलाया। और मेरे लंड को पकड़ के अपने बूर के छेद के पास लेते आई।

बोली- घुसाइए.

मैंने संदेह्पुर्वक अपने लंड को उनके बूर के छेद में घुसना शुरू किया। ये क्या? मेरा सारा का सार लंड
उनके बूर में घूस गया। मुझे बहूत ही मज़ा आया। भाभी को देखा तो उनके मुंह से सिसकारी निकल रहा था। मैंने डर के मारे झट से अपने लंड को उनके बूर से बाहर निकल लिया।

भाभी ने कहा - ये क्या किए?

मैंने कहा- आपको दर्द
हो रहा था ना?

वो बोली- धत , आपके भइया तो रोज़ मुझे ऐसा करते हैं। इसमे दर्द थोड़े ही होता है। इसमे तो मज़ा
आता है। चलिए डालिए फ़िर से अपन लंड मेरे बूर के छेद में।

मै इस बार अपने लंड को अपने से ही पकड़ कर भाभी
के बूर के छेद के पास ले गया और पूरा पूरा लंड उनके बूर में घूसा दिया। भाभी के मुंह से एक बार फ़िर सिसकारी निकली। मै उनके बुर में अपना लंड डाले हुए 1 मिनट तक पड़ा रहा। मुझे कुछ समझ में नही आ रहा था कि अब क्या करना है। मै अपने दोनों हाथो से भाभी के चुचियों से खेलने लगा।

भाभी बोली- खेल शुरू कीजिये ना।

मै
बोला- अब क्या करना है?

भाभी बोली - चोदना शुरू कीजिये ना।

मै बोला- अभी भी कुछ बांकी है? अब क्या करुँ?

भाभी बोली - मेरे बुध्धू राजा बाबू ! अपने लंड को धीरे धीरे मेरे बूर में ही आगे पीछे कीजिये।

मै बोला - समझा
नही।

भाभी बोली- अपने कमर को आगे पीछे कर के अपने लंड को मेरे बूर में आगे पीछे कीजिये।

मै
ऐसा ही
किया। अपने कमर को आगे पीछे कर के लंड को भाभी के बूर में अन्दर बाहर करने लगा। भाभी का शरीर एंठने लगा।

मै बोला कि - निकाल लूँ क्या?

भाभी बोली - नही। और जोर से चोदिये।

मै भाभी के कमर को अपने हाथ से
पकड़ लिए और अपने लंड को उनके बूर में आगे पीछे करने लगा। मुझे अब इसमे काफ़ी मजा आ रहा था। मेरा लंड उनके बूर से रगडा रहा था। मै पागल सा होने लगा। 5 मिनट तक करने के बाद देखा कि भाभी के बुर से पानी निकल रहा था। भाभी अब निढाल सी हो रही थी। मै भाभी के शरीर पर लेट कर उनकी चोदाई जारी रखी।

भाभी
बोली - जल्दी जल्दी कीजिये राजा जी ।

मै बोला - कितनी देर तक और करुँ?

वो बोली - मेरा तो माल निकल
गया है। आपका माल जब तक नही निकलता तब तक करते रहिये।

मैंने और जोर जोर से उनको चोदना जारी कर
दिया। उनका सारा शरीर मेरे चोदाई के हिसाब से आगे पीछे हो रहा था। उनकी चूचियां भी जोर जोर से हिल हिल कर ऊपर नीचे हो रही थी। मुझे ये सब देखने में बहूत मज़ा आ रहा था। मै सोच रहा था कि ये चोदाई का खेल कभी ख़तम ना हो। तभी मुझे लगा कि मेरे लंड से माल निकलने वाला है।

मै
भाभी को बोला- भाभी मेरा लंड से माल निकलने वाला है।

भाभी बोली - लंड को बुर से बाहर मत निकालिएगा। सब माल बुर में ही गिरने दीजियेगा।

मैंने
उनको चोदना जारी रखा। 15-20 धक्के के बाद मेरे लंड से माल निकलना शुरू हो गया। मेरी आँख जोरो से बंद हो गई। मैंने अपने लंड को पूरी ताकत के साथ भाभी के बूर में धकेलते हुए उनके शरीर को कस के पकड़ के उनको लिप्त कर उनके ही शरीर पर गिर गया।

बोला - भाभी , फ़िर माल निकल रहा है।

भाभी ने मुझे कस के पकड़ के मेरे
कमर को पीछे से पकड़ कर अपने तरफ़ नीचे की ओर खींचने लगी। 2 मिनट तक मुझे कुछ होश नही रहा। आँख खुली तो देखा मै अभी भी भाभी के नंगे शरीर पे पड़ा हूँ। भाभी मेरे पीठ को सहला रही थी। मेरे लंड से सारा माल निकल के भाभी के बुर में समां चुका था। मेरा लंड अभी भी उनके बुर में ही था।

मै उनके चूची पर अपने सीने के
दवाब को बढ़ते हुए कहा- क्या इसी को चुदाई कहते हैं?

भाभी बोली - हाँ, कैसा लगा?

मै कहा - बहूत मज़ा आता है । क्या भईया आपको ऐसे ही चोदते हैं?

वो बोली- हाँ,

मैंने पूछा- क्या भैया आपको हर रात को चोदते हैं?

भाभी बोली-हाँ, लगभग
हर रात को ।

मै कहा - क्या अब मुझे आप चोदने नही
दोगी?

वो बोली- क्यों नही? रात को भइया की पारी और दिन में तुम्हारी पारी।

मैंने कहा- ठीक है।

भाभी बोली - जब तुम्हे मुझे चोदने का मौका नही मिले अपने हाथ से ही लंड को सहला लेना और माल निकाल लेना।

मैंने कहा - ठीक है।

उसके बाद मैंने अपना लंड को उनके बुर से निकाला। भाभी ने उसे अपने हाथ में लिया
और कहा- रोज़ इसमे तेल
लगाया कीजिये। इस से ये और भी बड़ा और मोटा होगा।

भाभी के बूर को मै फ़िर से
सहलाते हुए पुछा - मुझे नही पता था कि इस के अन्दर इंतना बड़ा छेद होता है।

भाभी बोली - सुनिए, कल आप
आने लंड के बाल को शेव कर लीजियेगा। मै भी आज रात को शेव कर लूंगी। तब कल फिर आपको चोदने के और भी तरीके बताऊँगी। हाँ ये बात किसी को बताइयेगा नही

इसके
बाद भाभी ने मुझसे और भी कई तरीके से अपनी चुदवाई करवाई आज तक किसी को इस बात का नही चला

sex

How to work sex.

सालों बीत जाने के बाद महिला जब प्रजनन योग्य हो जाती है तब उसके दाएं और बाएं अण्डाशय मे हर माह परिपक्व अण्ड का उत्पादन शुरू हो जाता है. यहां से अण्ड जब मुक्त किया जाता है तब यह फेलोपियन ट्यूब से होते हुए गर्भाशय तक पहुंच जाता है. इस दौरान कोई महिला तभी गर्भवती हो सकती है जब शुक्राणु गर्भद्वार से होकर अंदर परिपक्व अण्ड से निषेचित हो जाता है.
गर्भद्वार ही वह गेट-वे है जो शुक्राणु को शरीर के अन्दर प्रवेश कराता है और उसी शरीर से बच्चे को जन्म के समय बाहर निकालता है. यहां जानने योग्य बात यह है कि परिपक्व अण्ड सिर्फ दो दिन तक ही निषेचित हो सकता है. इन दो दिनों में महिला यदि गर्भवती नहीं हो पाती है तो यह अण्ड मासिक चक्र के साथ बाहर निकल आता है और यदि गर्भधारण हो जाता है तो निषेचित अण्ड प्लेसेंटा में बच्चे का आकार लेने लगता है.
वहीं इससे आगे जाने पर कई महिलाएं यह सोचकर रजोनिवृत्ति (menopause) से डरती हैं. जब उनका अण्डाशय हार्मोन का उत्पादन बंद कर देता है, उनकी सेक्सुअल आकांक्षा खत्म होने लगती है. जबकि वास्तविकता यह है इन हार्मोन्स की न्युनता उनकी आकांक्षाओं की कमी का कारण नहीं है.
वे हार्मोन जो महिलाओं को उनकी अभिलाषा का अनुभव कराते हैं वे इस्ट्रोजेन और एन्ड्रोजेन हैं. एन्ड्रोजेन पुरुषों के वृषण में उत्पादित होने वाले हार्मोन का कमजोर रूप है. महिलाओं में एन्ड्रोजेन हार्मोन का आधा हिस्सा एड्रीनल ग्रंथि में बनता है जो किडनी के उपरी हिस्से में पाई जाती है.
अण्डाशय महिलाओं में एन्ड्रोजेन लेबल को स्थिर रखता है. जब महिला रजोनिवृत्ति अवस्था से गुजर रहीं होती है तब एड्रीनल ग्रंथि यह हार्मोन बनाने लगती है और महिलाओं को सामान्य सेक्सुअल आकांक्षा के लिये बहुत कम एन्ड्रोजेन हार्मोन की आवश्यकता होती है. ज्यादातर महिलाओं में मेनोपाज के दौरान काफी एन्ड्रोजेन हार्मोन हो जाता है.
ज्यादातर महिलाओं की सामान्य सेक्सुअल आकांक्षा स्थिर रहती है जब वह हार्मोन लेबल के परिवर्तन के दौर से गुजर रही होती है. मासिक चक्र, गर्भावस्था, रजोनिवृत्ति या गर्भनिरोधक गोलियों और महिलाओं की सेक्सुअल आकांक्षा के बीच नाम मात्र का संबंध पाया गया है.

एस्ट्रोजेन का कार्य
एस्ट्रोजेन हार्मोन महिलाओं की सेक्सुअल लाइफ में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह योनि को नम और खिंचाव योग्य बनाये रखता है. जब महिला उत्तेजित अवस्था में नहीं होती है तो इस समय योनि एक सिकुड़ा हुआ स्थान होती है. इस समय वह एक खुली सुरंग की तरह नहीं होती है, जैसा की सोचा जाता है. जैसे ही वह उत्तेजना का अनुभव करने लगती है वैसे ही योनि लंबी और चौड़ी होने लगती है. योनि की दीवारों में छिपे सेल द्रव छोड़ने लगते हैं जिससे योनि स्निग्ध (चिकनाहट भरी ) हो जाती है. योनि में होने वाले ये सभी परिवर्तन एस्ट्रोजेन हार्मोन पर निर्भर करते हैं. यदि महिला का एस्ट्रोजेन का स्तर कम है - उदाहरण के तौर पर - रजोनिवृत्ति के बाद योनि का फैलाव और चिकनापन काफी धीमी गति से होता है. एस्ट्रोजेन के बिना योनि दीवारों की खिंचाव क्षमता घट जाती है. कई बार तो ऐसा होता है कि जब महिला काफी उत्तेजित हो जाती है उस अवस्था में भी उसकी योनि काफी टाइट और सूखी रही आती है. यह अवस्था योनि आहार में कमी (vaginal atrophy) कहलाती है.

महिलाओं में उत्तेजना की स्थिति
जब भी कोई महिला सेक्सुअल उत्तेजित होती है उसका नाड़ी तंत्र उसके दिमाग को आनंदानुभूति का संदेश देता है . जैसे जैसे सिग्नल तेज और मजबूत होते जाते हैं आवेग का फैलाव बंधता जाता है. इस आवेग या उत्तेजना के दौरान वे मांसपेशियां जो बाह्य जननेन्द्रियों( genitals) के चारों ओर होती हैं एक रिदम के साथ कान्टेक्ट में रहती हैं. ऐसे में अचानक मांसपेशियों में तनाव से निकली आनंद की तरंगे बाह्य जननेन्द्रियों से होकर गुजरती हैं और कई बार तो यह शरीर के अन्दर तक उपस्थिति दर्ज कराती हैं. इस सबके बाद महिला आराम (relaxed) और संतुष्टि (satisfied) का अनुभव करती है.
महिलाओं में उत्तेजना समय-समय पर बदलती रहती है. कई बार उसे किसी आवेग का अनुभव नहीं होता या वह एक सेक्सुअल मुठभेड़ भी तरीके से पूर्ण नहीं कर पाती है. वहीं दूसरी ओर कई बार तो उन्हें गुणात्मक उत्तेजना का अनुभव होता है जो एक के बाद एक होता जाता है. यह उम्र के हर पड़ाव के साथ बदलती जाती है. लंबी उत्तेजना पाने के लिए काफी उकसावे की जरूरत होती है, और महिला जैसे-जैसे उम्र दराज होती जाती है उसे उतना ही ज्यादा उकसावे( foreplay) की जरूरत होती है.

कैसे मिलती है तीव्र उत्तेजना
आवेग या उत्तेजना प्राकृतिक फैलाव है लेकिन ज्यादातर महिलाओं को तीव्र उत्तेजना के संचार के लिये अनुभव की आवश्यकता होती है. कई बार तो संभोग के दौरान तीव्र उत्तेजना मिल पाना कठिन हो जाता है, तब बाह्य सेक्सुअल इन्द्रियों पर प्रहार (stroking) करना पड़ता है. एक सर्वे मे यह पाया गया है कि एक तिहाई महिलाएं संभोग के दौरान बगैर अतिरिक्त क्रिया (extra touching) के तीव्र उत्तेजना को नहीं पाती है.
संभोग के दौरान मिलने वाली तीव्र उत्तेजना मात्र ही अन्य तरीके से प्राप्त तीव्र उत्तेजना से बेहतर होगी, इसके अलावा आप और आपके पार्टनर के चरम पर पहुंचने पर मिलने वाली उत्तेजना ही सबका उद्देश्य हो यह भी जरूरी नहीं है.
यहां उत्तेजना के कई तरीके हैं जो चरमोत्कर्ष तक पहुंचा सकते हैंऔर ये अलग-अलग महिलाओं में अलग-अलग हो सकते हैं. कुछ महिलाएं तो भड़कीली कल्पना मात्र से या फिर उनके स्तनों के दबाने भर से चरम उत्तेजना को पा जाती हैं तो कुछ महिलाएं स्वप्न देख कर ही उत्तेजित हो जाती हैं. ज्यादातर महिलाएं तीव्र उत्तेजना पाने के लिये बाह्य सेक्सुअल इन्द्रियों से खिलवाड़ चाहती है.
महिलाओं की बाह्य सेक्स इन्द्रियां (देखें चित्र ) जिनमें भगशिश्न( clitoris) और आंतरिक भगोष्ठ( inner lips) उत्तेजना के प्रति काफी संवेदनशील होते हैं. बाह्य सेक्स इन्द्रियों का क्षेत्र जो भग क हलाता है में बाह्य भगोष्ठ (outer lips), आन्तरिक भगोष्ठ (inner lips) , भगशिश्न (clitoris), योनिद्वार( entrance to the vagina) , मूत्रद्वार( opening of the urethra) , और गुदा शामिल होते हैं. बाह्य भगोष्ठ की संरचना स्पंजी होती है., जो सुकुमार और कोमल आंतरिक भगोष्ठ व भगशिश्न की सुऱक्षा का आवरण प्रदान करता है. जब कोई महिला सेक्सुअल उत्तेजित होती है आंतरिक सेक्स इन्द्रियां फूल कर फैल जाती है और इसकी त्वचा के नीचे रक्त का तीव्र संचार होने से इनका रंग गहरा गुलाबी हो जाता है.
कई महिलाएं भगशिश्न को सहलाने या थपथपाने भर से उत्तेजित हो जाती है. शिश्न की तरह ही भग शिश्न की भी संरचना होती है. इसका काम दिमाग तक आनंद प्राप्ति का संदेश पहुंचाना है जब इसे सहलाया या थपथपाया जाता है. भगशिश्न का अग्रभाग इतना संवेदनशील होता है कि तेजी और कठोरता से इसे सीधे रगड़ना कष्टप्रद होता है. इस कष्टकारी प्रक्रिया से बचने के लिये इसमें पहले कोई तैलीय या चिकनाहट वाले द्रव का प्रयोग कल लेना चाहिये फिर इसे रगड़ना या थपथपाना चाहिये.
उत्तेजना प्रदान करने वाले अंगों में बाह्य भगोष्ठ और गुदा द्वारा भी हैं. इनको सहलाने व थपथपाने से भी कई महिलाओं को आनंदानुभूति और उत्तेजना की प्राप्ति होती है. लेकिन महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि हर महिला के सेक्स संवेदनशील क्षेत्र में थोड़ा अन्तर होता है.
योनिद्वार में कई नसों के अंतिम सिरे पाए जाते हैं. जो हल्की सी छुअन के प्रति भी संवेदनशील होते हैं और यह स्थिति योनि की गहराई तक पाई जाती है. कई महिलाओं में योनि की बाह्य दीवार (आमाशय की ओर ) आंतरिक दीवार से काफी संवेदनशील होती है. कई सेक्स विशेषज्ञों का मानना है कि योनि द्वार से लगभग ३-४ इंच अंदर योनि की बाह्य दीवार को सहलाने से महिलाओं को सहवास के दौरान काफी उत्तेजना प्राप्त होती है, लेकिन इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. महिलाओं के सेक्सी अंगों में आंख, स्तन, गर्दन, पेट, ओंठ, पांव, नितंब, जांघ और जीभ आते है जो उन्हें उत्तेजित करने में सहायक होते हैं

kamsin kali

Sexy story.

मेरा नाम ॐ है मैं २१ साल का नौजवान हूँ. मेरी ऊंचाई ५’११” है और पेहेलवानी वाला बदन रखता हूँ. दोसतों यह कीस्सा शुरू होता है वहाँ से जब मैं अपने गांव गया था. गांव में हमारी पुश्तैनी ज़मीन जयदत है. वैसे तो उसके देखभाल के लीये वहाँ हमारे ताउजी हैं पर पापा हर साल गांव जाते थे पर इस साल उनको समय नहीं मीला तो मुझे ही गांव जाना पड़ा.
मैं अपने गांव करीबन पंच साल बाद गया था. गांव में हमारे घर से करीबन बीस कदम दूर ही दीपा का घर था. मुझे बताया गया था की व्हो हमारे बचपन की दोस्त है. जिस दीन हम घर पहुंचे तो हमे मिलाने काफी लोग आ गए जिस्मे की दीपा भी अपने परिवार वालों के साथ ही आई थी. वैसे तो उसे देखते ही मैं उसपे फीदा हो ग्या पर इतने लोगों के बीच मैं उसे ठीक से देख भी नहीं प रहा था .

व्हो पूरी उन्नीस (१९) साल की हो गयी थी. उसका बदन भी पुरा देसी और गदराया हुआ था. वैसे तो वो मुझे देख ही नहीं रहीं थी पर काफी देर बाद हमारी नज़र उसकी नज़र से टकराई और व्हो शर्म गयी.

हमारी Bhabhi (हमारे ताउजी के लड़के की बीवी ) थोड़ी माजाकीया हैं और हमसे कुछ ज्यादा ही मजाक करती हैं. सबके जाने के बाद मैं थोडा अपनी पलंग पे लेट ग्या आराम करने के लीये. मेरी अभी आंख लगी ही थी की मुझे अपने कानों के पास चूड़ी के खनखनाहट की आवाज़ आई मुझे लगा Bhabhi हैं, हमने आंख बंद करके ही कह दिया “एक गिलास पानी पी ली जिए “. फीर ज़ोर से चूड़ी खंकने की आवाज़ आई मैने अपनी आंख खोली तो देखा की दीपा हाँथ में पानी का गिलास और एक हाँथ में एक प्लेट में गूढ़ का टुकडा पड़ा था मैं तुरंत उठ कर बैठ गया. हमने उससे पूछा “आप दीपा हैं क्या”, तो उसने सर हीला दीया और शर्म के सर झुका लीया. मैने कहा “बैठो”, पर वो खाडी ही रही मैने उसका हाँथ पकड़ के उसको बिठाना चाहा पर जैसे ही हमने उसका हाँथ पकड़ने की कोशिश की उसके हाँथ से पानी का गिलास और प्लेट दोनों ही गीर ग्या. तभी अंदर से Bhabhi की आवाज़ आई “क्या हुआ”, Bhabhi दौड़ती हुईं आयीं उन्होने मुझे फटकारते हुए कहा “लगता है तुमने कोई गलत हरकत की है”, तब दीपा ने कहा “नहीं Bhabhi मैं यहाँ रखने जा रहा थे तो खटिया का कोना लग गया”, Bhabhi कहने लागीं ” अभीआये हुए एक दीन भी नहीं हुआ और तू इसकी तरफ़दारी करने लगी”. यह बोल कर Bhabhi ने हमारी तरफ देखते हुए एक अजीब से मुर्कुराहत देते हुए रसोईघर में चली गयीं. दीपा भी जाने लगी तो मैने हाँथ आगे बड़ा दीया जिससे व्हो आगे ना जा सके. हमने उससे माफी मांगी और उसे फीर से बिनती की की वो हमारे पास बैठे. पर उसने कहा “साँझ हो रही है हटो मुझे चूल्हा जलना है माँ मेरा इंतज़ार कर रही होंगी, मैं खाना खाने के बाद माँ के साथ आएँगी”. यह बोल के वो चली गयी.

वैसे गांव में खाना जल्दी बन जाता है और सात-सडेसात बजे (७- ७.३०प्म्) तक साबका खाना हो जता है. मै अब बेसब्री से उसके आने का इंतज़ार करने लगा. ७ बजे Bhabhi ने कहा चल के भोजन कर लेने को तो हमने मना कर दीया कहा मुझे आदत नहीं है इतने जल्दी खाना खाने की. पर Bhabhi ने खहा की चल के मैं अगर ताउजी और भैया के साथ खा लेते तो आछा होता. पर मेरा दील ही नहीं कर रह था. ताउजी का दुतालला माकन था (२-स्टोरी bunglov) और उसके ऊपर छत थी मैं छत पे खाट बिछाके आराम करने लगा.मुझे तारौ को देखना बहुत आछा लगता है सो मैं काफी देर तक तारों को देख रहा थे थाभी Bhabhi कीसीको लेकर हमारे पास आई उन्होने बताया की वो दीपा की माँ हैं . मैने उन्हें नमस्कार करके हाल चाल पुछा. फीर Bhabhi से पुछा दीपा नहीं आयी है क्या. Bhabhi ने बताया की नीचे हमारे भतीजे को कहानी सुना रही है. मैं नीचे की तरफ लपका Bhabhi के कमरे में देखा तो वहाँ दीपा हमारे भतीजे को कहानी सुना रही थी. मुझे देखते ही व्हो भाग गयी. थोड़ी देर बाद आयी और कहना खाने को चलने के लीये कहा. मैं रसोईघर में उसके पीछे पीछे चले ग्या. मैं वहाँ पे बैठा और वो हमारे लीये खाना निकलने लगी. हमने उससे बात करनी शुरू की. थोड़ी देर में ही वो हमसे घुलमील गयी. फीर व्हो मुझे अपने बचपन के कीस्से सुनने लगी. खाना खाने के बाद मैं दीपा के साथ Bhabhi के पास ग्या Bhabhi ने मुझे सोने के लीये जाने को कहा. और दीपा को कहा की मुझे कमरा दीखा दे और व्हो घर चली जाये, क्योंकी उसकी माँ
देरी से आएँगी.

मैने सोचा यही मौका है कुछ करने का. दीपा को देखते ही हमारा लंड सलामी देने लगता था. उसके उभरे हुए माम्मेय और चिकना हुआ बदन चांदनी रात में सोने पे सुहागा कीये जा रह था. हमारा कमरा सबसे नीचे ताउजी के कमरे के बगल में था. नीचे पहुंच के हमने देखा ताउजी सो ग्या हैं, हमने दीपा से कहा की व्हो थोडा रूक जाये क्योंकी मुझे इतनी जल्दी सोने की आदत नहीं है. वो हमारे साथ बैठकर बात करे. वो तयार हो गयी . व्हो हमारे बगल में ही बैठी थी. हमारा बहुत मन कर रह था उसको छूने का. मैने उसका हाँथ पकड़ लीया थोडा सा वीरोध करने के बाद वो शांत हो गयी. इससे मेरा हौसला और बढ गया. मैंने उसके क़मर पे हाँथ रख दीया जैसे ही हमने उसके क़मर पे हाँथ रखा वो सिहक गयी और अपना सर हमारे कंधे(शौल्देर) पे रख दीया. अब क्या था हमने उसके गाल पे चुम्बनों की बौछार शुरू कर दी. वो शरमाते हुए अपना मुह छुपाने लगी. हमने उसके कुर्ते के ऊपर से ही उसके उरोझ(Boobs) पे हाँथ रख दीया और हल्का सा दबाया उसके मुह से हलकी सी सिस्कारी निकलने लगी स्स्स्स्स्स्स्स्स्सीईईईईईईईईईईईई…आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्…. इस तरह से. हमने देखा की वो विरोध नहीं कर रही तो हमने दोनो हाथों से उसके मुम्मे (Boobs) हलके हलके से दबाना शुरू कर दिया. और अपना मुख ( माउथ) उसके मुख के पास ले ग्या और उसके होंठों को चूमने लगे. इतने में हमारा एक हाँथ नीचे से उसके सलवार के अन्दर पहुंच गया , जैसे ही मेरे हाँथ ने उसकी चूत के रोंदर बलों( झंट) पे दौड़ उसके मुख से सीत्कार नीकल
गयी जो की हमारे होंटों से ही दबी रह गयी. हमने देखा की व्हो काफी गरम हो गयी है तो हमने हलके से उसका कुरता उठाने लगे और जैसे ही हमने देखा की व्हो तनीक भी विरोध नहीं कर रही हैं हमने तुरंत ही उसका कुरता उप्पर से उतर दीया. है हमने देखा उसके बगल में सुनेहेरे बाल उगे थे जो मुझे और भी उसके ऊपर कामुक (Sexy) लगा. मैं ऊपर ऊपर से ही उसकी चूची दबाने लगे उसकी चूची इतनी मांसल और बड़ी थी की हमारे हाँथ में नहीं आ रही थी, साथ ही साथ हमारा ६ इंच का लंड भी बहर आने के लीये बेक़रार हो रह था हमने अपनी पैंट की जीप खोली और vip की चड्डी में जो छेद रहता है, हमने वहीँ से अपना लंड बहार नीकल दीया. नीकाल के हमने देखा दीपा हमारे लंड को देख कर शर्म गयी तो हमने उसके शरम भगाने के लीये उसक हाँथ हमारे लंड पे रख कर मुठबजी का कला उसे सिखाने लगे. थोड़ी ही पल में उसकी शरम जाती रही फीर क्या था मैने बेशरम होके उसकी ब्रा खोल दी उसकी ब्रा खुलते ही उसके सुडौल चूचीयां लपकने लगी इतनी सुंदर और कामुक चूचीयां आज तक मैंने अपनी जिन्दगी में नहीं देखी थोड़ी देर तक मैं उसके चुचियों के साथ खेलते राह और अंत में उसकी उत्तेजना को और भड़काने के लीये मैंने ऊपर के तरफ उसकी चूचीयां खीची. उसे बहुत जम के दर्द का एहसास हुआ और उसके मुह से आआआआआआआआआआआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्………… निकल आयी. फीर मैं उसके चूचियों को चूसने लगा और व्हो मेरा लंड मुठीया रही थी. मैंने बीना वक़्त गवाए उसके सलवार का नाडा खोल दीया और उसका सलवार चड्डी के साथ नीचे खींच लीया. हे राम उसकी अन्चुदी बुर (चूत) को देख कर मैं दंग रह गया. मैंने बीना वक़्त गवाये उसे बिस्तर पे लीटा दीया और उसके क़मर के नीचे ताकीया रख दीया और उसकी बुर चाटने लगा. मैंने एक हाँथ की उँगलियों से उसके बुर की फाकीयां फैलाई और अपनी चटोरी जीभ उसके बुर में पेल दी. वो चाट्पताने लगी. मैं अपने दूसरे हाँथ से उसकी चूचीयीओं को बरी बरी सेहेला-दबा
रह था. थोड़ी ही देर में व्हो झड गयी. और उसकी चूत से निकला हुआ रस मैं पुरा पी गया. दो मिनट के लीये व्हो ठण्डी पड़ गयी और वैसी ही लेटी रही.

मैंने अपना चूची दबाने का कार्यक्रम जरी रखा जिससे वो कुछ ही देर में फीर से उततेजीत हो गयी (गरम). मैंने उसके दोनों पांव फैला दीये और घुटने के बल उसके पैरों के बीच बैठ गया उसने मेरा बड़ा और मोटा लंड देखा और ड़र सी और कहा “अगर तुम यह मेरी बुर में घुसोगे तो मेरी बुर फट जायेगी, मेरी बुर मत फाडो” मैंने उसे समझाया की यह तो चोटी सी चीज है यही व्हो जगह है जहाँ से बच्चा पैदा होता है. कीसी तरह वो मनी मेनेआव देखा ना ताव जल्दी से अपने लंड पे और उसकी चूत पे अपने मुह से थोडा थूक नीकाल के लगा दीया और अपने लंड का सुपदा उसके चूत के मुहाने पे जैसे ही लगाया वो सीस कर उठी. मैंने धीरे से धक्का दीया पर मेरा लंड अन्दर जा ही नहीं रह था और उसे तकलीफ भी होने लगी.

तुब मुझे अपने गुरू “मस्तराम” की याद आई जिसकी किताबें मैं पढ कर्ता था. मैंने कहीँ पढा था की अगर लडकी अन्चुदी हो या उसकी चूत कासी हो तो ऐसे लड़कियों के अगर चूचीयों को अगर नीचे से ऊपर के ऊर खीचा जाये और साथ में लंड घुसाया जाये तो लडकी को तकलीफ भी कम होती है और मेरा लंड भी आराम से जाने लगता है क्योंकी हमारे गुरुजी ” मस्त्रमजी ” का यह मनाना है की चूचीयां ही सारे द्वार खोल देती हैं. वो बात फीर कभी मैंने गुरुजी का नाम लीया और दीपा की चूचियां मसलन शुरू कर दीया और धीरे धीरे अपना लंड अन्दर की तरफ हलके हलके पेलने लगा, इस प्रकार दीपा को दर्द भी कम हो रह था और मुझे भी ज्यादा तकलीफ नहीं हो रही थी. अभी मेरा लंड आधा से थोडा ज्यादा ही अंदर गया था की मेरा लंड झ्हीली से टकरा गया. मैंने दीपा के चूची के टोक मसलन शुरू कीया और अपनी रफ्तार तेज करने लगा, धीरे धीरे रफ्तार तेज करते हुए मैं अपना लंड और अन्दर घुसाने की कोशिश करने लगा. पर
झिल्ली आने की वजह से मेरा लंड और अंदर जा नहीं रह था फीर मैंने एक ज़ोर की थाप मरी और दीपा के होटों पे होंठ रख दीया क्योंकी मुझे मालूम था वो चिल्लाने वाली है. जैसे ही मैंने ज़ोर की थाप मरी उसकी झिल्ली फट गयी और चूत से ख़ून बेहेने लगा उसके आंखों से आंसू बेहेने लगे मैंने हिलना एकदम से बंद कर दीया और उसकी चूचियों को फीर से ऊपर की और पहेले जैसे खीचने लगा. उसका दर्द कम होने लगा और उसे मजा आने लगा, मैंने हलके हलके अपने थाप शुरू कर दी कुछ ही पल में व्हो बोलने लगी “फाड़ डालो ॐ आज मेरी बुर को पूरी तरह, जालीम क्या नशा छा रह है! हई ॐ चोदो मुझे और कास के चोदो”. यह सुनते ही मेरे अंदर का शैतान जाग गया और मैंने अपने रफ्तार बहुत तेज कर दी. दस मिनट के अन्दर ही मैं दोनो झड ग्ये. मैंने कुछ पल रूककर एक बार और चढाई शुरू कर दी इस बार दीपा को मजा आने लगा और वो उच्चाल उच्चाल कर मेरा साथ देने लगी. थोड़े देर में मैं फीर झडा. फीर दो मिनट तक मैं उसके
ऊपर पड़ा रहा. मैंने उसे कहा की कपडे पहेन लो और चलो मैं घर छोड आता हूँ.

उसने जल्दी जल्दी अपने कपडे पेहेने और मैंने भी अपने कपडे पेहेने और उसे उसके घर छोड़ने चला गया. मैंने उसे कहा अगले दीन मुझे दोपहर में मेरे घर मील्ना क्योंकी अगले दीन मैं अपने घर में रेहेने जाने वाला था जो मेरे ताउजी के घर के बिल्कुल सामने ही था. ओउए वो मुस्कुरा के चली गयी …. …. …

कहानी एक मेरे दोस्त की .................

इस कहानी को पढने के लिए आपको ये जानने से ज्यादा जरुरत इस बात की है की मेरा दोस्त कौन है जिसके बारे में ये कहानी मई लिखने जा रहा हूँ. तो मै आपको अपने दोस्त के बारे में बता दू मेरे दोस्त का नाम पप्पू है , और ये कहानी मै उसके और उसकी साली के साथ बीते हुए एक गर्म गर्म पल के बारे में आप सभी सेक्स पसंद लोगो के लिए लिख रहा हूँ. हमारे दोस्त की सदी हुए कुछ दिन हो चुके थे और इस अन्तराल में वो एक दो बार अपने ससुराल गया था. तो उसके पल उसकी अपनी बीबी के साथ बीते थे. और उस पल में वो अपनी बीबी की जम कर चुदाई करता था , और ससुराल जाना और अपनी बीबी को चोदना उसे बहुत ही भाता था. उसकी बीबी एक जबरदस्त मॉल है मै ये यकीं के साथ कह सकता हु की उसे देख कर आप लोगो का लैंड अपने पुरे साइज़ के साथ आपके पैंट से बहार निकलने की कोसिस करने लगेगा. क्यूंकि उसकी बीबी की चूची की साइज़ बोले तो जबरदस्त है वो देखने से एक रसीले आम की तरह लगता है. हर बार की तरह इस बार भी वो अपने ससुराल बीबी की चुदाई के लिए गया पर जाने पर उसे निरासा हाथ लगी क्यूंकि उस दिन उसकी बीबी का व्रत था. उसे अब एक पल भी ससुराल में मन नहीं लगने लगा क्यूंकि उसे पता था आज रात को वह अपनी बीबी को चुद नहीं पायेगा , उसी पल उसकी नजर अपने साली पे पड़ी जो की अपने जीवन की सोलहवे बसंत के पराव कओ पर करने वाली थी उसे पता था उसकी साली रात में अकेले अपने kamre में सोती है

और थोड़ी देर बाद उसकी जबरदस्त स्वागत उसके ससुराल में उसकी प्यारी और सेक्सी साली के द्वारा हुआ . इस दौरान कभी कभी उसका हाथ उसके साली के चूची को छुया भी , साली के रसीले चूची के छुवन मात्र से उसका लैंड उफान मरने लगा था वह सोच लिया की आज रात को बीबी की नहीं तो साली की ही चुदाई सही.

और रात होने पे उसकी साली अपने रूम में sone चली गयी आज रात उसकी बीबी भी उसके साथ नहीं सोयी थी वो अकेले अपने रूम में था , रात को जब वह जान गया की घर में sab so rahe है तो वो चुपके से अपनी साली की रूम का दरवाजा खटखटाना चाहा पर उसे पता चला की वो दरवाजा पहले से खुला हुआ है. वो दबे पाऊं अपने साली के बेड के पास गया , वो गहरी नींद में सो रही थी वो उसकी रसीले आम की तरह चूची को देखकर दीवाना हुआ जा रहा था, वो धीरे से बेड पे साली के बगल में लेट गया और वो धीरे धीरे अपनी साली के बालों को सहलाने लगा, सायद उसके छुवन का एहसास उसके साली को हुआ पर वो कुछ बोली नहीं सायद उसे भी यह सब अच्छा लग रहा था , यह देखकर मेरे दोस्त को और बढ़ावा मिला वो अपने होठो को अपनी साली के होठो के पास ले जा कर एक जबरदस्त चुम्बन लिया, और साली के पुरे सरीर को सहलाते हुए उसके फ्राक को उतार दिया, अब उसके साली का रसीला चूची मात्र एक ब्रा के कैद में था , उसने ब्रा के ऊपर से अपनी साली की चूची को दबाना सुरु किया , अब तक उसकी साली पूरी तरह जग चुकी थी पर उसने ना नहीं किया , फिर मेरे दोस्त ने अपनी साली की ब्रा भी खोल दी अब साली की चूची एक आम की तरह उसके हाथो में थी, चूची को छूते ही वो जान गया की उसकी साली अभी एक कची कलि है. वो बरे प्यार से साली की चूची को दबाये जा रहा था ,

अब उसकी साली को पता चल चूका था की आगे और मजा लेने के लिए पूरी तरह जागना होगा और उसने बरे प्यार से पूछा जीजा जी सिर्फ चूची दबाते हुए ही समय बर्बाद करोगे,

तो मेरे दोस्त ने बोला , मेरी प्यारी साली आप अपने पैंटी को तो खोलो फिर आगे कुछ मै करू तो वह बरे प्यार से बोली पहले आप खोलो
तो उसने अपने खड़े हुए लैंड के ऊपर से अंडर वेअर को खोल दिया , उसकी साली उसके लैंड को हाथो में लेकर सहलाने लगी अब तो मेरा दोस्त पागल हुआ जा रहा था उसने अपनी साली को लैंड को मुह में लेने को बोला पहले तो उसने मन किया फिर वो उसके लैंड को मुह में लेकर जिव से सहलाने लगी अब मेरे दोस्त के लैंड से लार आ रहा था फिर भी उसकी साली उसके लार से भरे हुए लैंड को चुसे जा रही थी ,
अब मेरा दोस्त अपने काबू से बाहर हो चूका था , अब उसने अपनी साली को पूरी तरह से नंगा कर दिया
और प्यार से अपने हाथो से अपने साली की पावरोटी की तरह फुले हुए बुर को सहलाने लगा. उसकी साली अब पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी,
अब वो अपने लैंड से अपनी साली के बूर को सहला रहा था उसकी साली अब थोरा thora सिहर रही थी लैंड के छुवन मात्र से ,, वो दर कर बोली इतना बार लैंड अन्दर चला जायेगा ?
तो मेरे दोस्त ने कहा हां प्यारी साली थोडा सा दर्द होगा फिर मजा आयेगा , उसके बाद वो लैंड को अन्दर डलवाने के लिए तैयार हो गयी,,

दोस्त जानता था ये कमसिन कली है इसलिए उसने साली के बुर पर थोडा सा तेल लगा दिया उसके बाद उसने अपने लैंड को साली की बूर पे rakh कर थोडा सा दबा दिया , लैंड थोरा भीतर गया साली चीखना चाही पर दोस्त ने उसके मुह को बंद कर के एक और जोर का झटका अपने लैंड से mara उसकी साली बुरी तरह दर्द से छटपटा कर रह गयी , फिर मेरे दोस्त ने अपने लैंड को दो तिन बार अन्दर बाहर किया
अब उसकी साली को भी मजा आने लगा था ,, वो भी अब चुदाई का मजा ले रही थी
वो जोर जोर से अपने कमर को हिला रही थी और "और जोर से जीजा जी और जोर से" चिल्लाये जा रही थी मेरा दोस्त भी जम कर चुदाई का मजा ले रहा था ,,
और अंत में मेरे दोस्त ने अपने लंड से गर्म गर्म बीर्य अपने साली की बूर में daal दिया उसकी साली भी अब पूरी तरह से मस्ती ले चुकी थी ,,
अब उसकी साली उसके मुरझाये लंड को हाथ में ले कर प्यार से बोली क्यूँ जीजा जी अब तो आपको मेरे लिए पुरे १० दिनों तक ससुराल में रहना होगा,
मेरा दोस्त भी ख़ुशी ख़ुशी इस बार पुरे १० दिनों तक ससुराल में रहने को तैयार हो गया और फिर तो जितने दिनों तक ससुराल में रहा उतने दिनों तक ससुराल में साली के साथ जबरदस्त चुदाई कर के अपनी साली को कमसिन कली से फूल बना दिया ,,,



दोस्तों इस कहानी को पढने के बाद आप सिर्फ कहानी का हिंट मुझे दीजिये जो आपके साथ जुदा हुआ हो मै उसपे कहानी लिख कर आपको आपके बिताये हुए पल का गिफ्ट दुगा...